चंद्रयान 3 की जानकारी | Essay on Chandrayaan-3

Essay on Chandrayaan-3 – आज हम इस लेख में चंद्रयान – 3 के बारे में जानेंगे। यहां हम चंद्रयान-3 मिशन से संबंधित सारे टॉपिक कवर करेंगे। इस लेख से आप को स्कूल परीक्षा, इंट्रेंस परीक्षा, और आपकी नॉलेज को बढ़ाने में मदद मिलेगी। नीचे कुछ विषय का उल्लेख है, जिसे हम आज अपने इस लेख में कवर करने वाले हैं।

  • चंद्रयान-3 मिशन
  • चंद्रयान 3 कब लॉन्च हुआ
  • चंद्रयान 3 का उद्देश्य क्या है
  • चंद्रयान 3 और 2 में भिन्नता
Chandrayaan 3 Misson

चंद्रयान 3 की जानकारी: भारत का अंतरिक्ष में एक नया प्रयास

प्रस्तावना


चंद्रयान-3 मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन चंद्रयान-2 के उत्कृष्टता को आगे बढ़ाते हुए भारत की अंतरिक्ष खोज और तकनीक में मजबूती का प्रतीक है। चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर, विक्रम और रोवर, प्रज्ञान के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और गौरवशाली रोमांचक अन्वेषण का उद्देश्य है। इस मिशन के माध्यम से, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।

चंद्रयान-3 मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने से, भारत ने सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया है जो चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव के सतह पर सफलतापूर्वक अपने मॉड्यूल को लैंड करने में सक्षम हुआ है। इस मिशन के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष खोज और विज्ञान में अपने प्रगति को साबित करते हुए, विश्व स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

चंद्रयान-3 मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमता को मजबूत करता है और उसे विश्व भर में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है।

    चंद्रयान-3 मिशन

    चंद्रयान-3 मिशन एक भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जो चंद्रमा की सतह पर अन्वेषण के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और एक रोवर को उस सतह पर भेजना है ताकि अध्ययन और अनुसंधान किया जा सके। चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष खोज और वैज्ञानिक क्षमताओं को मजबूत करना, चंद्रमा के भौतिकी, रसायन और जलवायु के पहलुओं का अध्ययन करना, और चंद्रमा पर उपयोगी संसाधनों की खोज करना है। इसमें चंद्रयान के साथ एक रोवर भी शामिल होगा जो चंद्रमा की सतह के विभिन्न क्षेत्रों की जांच करेगा।

    चंद्रयान-3 मिशन के जरिए, भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयास किया है और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में अपनी भूमिका मजबूत करने का कदम उठाया है।

    LVM3 (या लॉन्च व्हीकल मार्क III) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नया लॉन्च वाहन है जो GTO (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में मॉड्यूल को स्थापित करने की क्षमता रखता है। GTO एक उच्च जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट है जो उच्च अंतरिक्ष उड़ानों के लिए उपयुक्त होता है।

    LVM3 एक तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है, जिसमें दो सॉलिड स्ट्रैप बूस्टर चरण और एक कोर लिक्विड बूस्टर चरण शामिल हैं। इसका उद्देश्य वजन के बढ़ते साथ संवहनीय उच्चायन कार्यक्षमता प्राप्त करना है।

    LVM3 M4 लॉन्चर ने वास्तव में एकीकृत मॉड्यूल को लगभग 170 x 36500 किमी का एक अण्डाकार पार्किंग ऑर्बिट में पहुंचाया है, जो कि GTO के लिए आवश्यक होता है। यह लॉन्च वाहन भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साधन है और उच्च उड़ानों को संभव बनाता है।

    चंद्रयान 3 कब लॉन्च हुआ?

    चंद्रयान-3 मिशन का लॉन्च 14 जुलाई 2023 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया था। यह मिशन श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था, जिसमें चंद्रयान-3 के लैंडर, विक्रम, और रोवर को चंद्रमा की सतह पर ले जाने का प्रयास किया गया था।

    • लॉन्च: 14 जुलाई, 2023
    • चंद्र कक्षा में स्थापित: 05 अगस्त
    • लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करना: 17 अगस्त
    • पहली डिबॉस्टिंग: 18 अगस्त
    • 20 अगस्त को दूसरी डिबॉस्टिंग
    • 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग
    • रोवर ने 24 अगस्त को अपनी खोज शुरू की थी।

    चंद्रयान-3 में तीन मुख्य मॉड्यूल हैं:

    • प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module): यह मॉड्यूल चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह के निकटतम बैठक पर पहुंचाने में मदद करता है। यह एक आग द्वारा प्रेरित मॉड्यूल होता है जो यात्रा के दौरान चंद्रमा की गति को नियंत्रित करता है।
    • लैंडर मॉड्यूल: (Lander Module): लैंडर मॉड्यूल चंद्रयान-3 का हिस्सा होता है जो चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है। इसका मुख्य काम चंद्रमा की सतह पर संदेशों और डेटा को भेजना और प्राप्त करना होता है। यह पेलोड्स चंद्रमा की सतह और वायुमंडल का अध्ययन करने में मदद करते हैं, जो चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण हैं। इन पेलोड्स में तापीय चालकता और तापमान के मापन के लिये ChaSTE (Chandra’s Surface Thermophysical Experiment), लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता के मापन के लिये ILSA (Instrument for Lunar Seismic Activity), प्लाज्मा घनत्व और उसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए LP (Langmuir Probe) शामिल हैं। इसके अलावा, (NASA) के एक निष्क्रिय लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (Laser Retroreflector Array) को भी चंद्रमा पर लैसर रेंजिंग के लिए समायोजित किया गया है। ये सभी उपकरण चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में मदद करेंगे और वैज्ञानिकों को अनूठे डेटा प्राप्त करने में सहायक होंगे।
    • रोवर मॉड्यूल: (Rover Module): रोवर मॉड्यूल चंद्रयान-3 का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह चंद्रमा की सतह पर गतिशीलता के साथ-साथ वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए डिज़ाइन किया जाता है। रोवर मॉड्यूल चंद्रमा के विभिन्न क्षेत्रों की जांच करता है और महत्वपूर्ण डेटा और जानकारी को भी प्राप्त करता है।

    चंद्रयान 3 और चंद्रयान 2 में भिन्नता

    चंद्रयान-3 और चंद्रयान-2 दोनों ही भारत के अंतरिक्ष मिशन हैं जो चंद्रमा की खोज और अध्ययन को लक्ष्य बनाते हैं, लेकिन इन दोनों मिशनों में कुछ मुख्य भिन्नताएं हैं।

    1. लक्ष्य:
      • चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और उसके खोज करने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों को भेजना था।
      • चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य भी समान है, लेकिन इसमें रोवर मॉड्यूल को भी शामिल किया गया था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर गतिशीलता के साथ-साथ वैज्ञानिक अन्वेषण करना था।
    2. मॉड्यूल:
      • चंद्रयान-2 में, लैंडर और ऑर्बिटर मॉड्यूल थे।
      • चंद्रयान-3 में, लैंडर, विक्रम, और रोवर मॉड्यूल थे, जो एक पूरे सिस्टम को बनाते हैं।
    3. वैज्ञानिक पेलोड:
      • चंद्रयान-2 में, वैज्ञानिक पेलोड उपकरणों के साथ-साथ चंद्रमा की खोज के लिए थे।
      • चंद्रयान-3 में, इसके अलावा तापीय चालकता और तापमान के मापन, भूकंपीयता के मापन, प्लाज्मा घनत्व, और उसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए भी उपकरण थे।
    4. लॉन्च यान:
      • चंद्रयान-2 का लॉन्च वाहन GSLV Mk II था।
      • चंद्रयान-3 का लॉन्च वाहन GSLV Mk III था।

    इन भिन्नताओं के बावजूद, दोनों मिशन भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की उन्नति और अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण कदम हैं।

    चंद्रयान 3 में कितने लोग गए हैं

    चंद्रयान-3 में अंतरिक्ष यात्री नहीं भेजे गए हैं। यह एक अन्तरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर अध्ययन और अन्वेषण करना है। चंद्रयान-3 में उपयोग के लिए वैज्ञानिक उपकरणों, लैंडर, रोवर, और अन्य उपकरणों को भेजा गया है, लेकिन किसी मानव यात्री को इस मिशन के लिए नहीं भेजा गया है।

    चंद्रयान 3 बजट

    चंद्रयान-3 मिशन का बजट लगभग 615 करोड़ रुपये होने का मुख्य कारण यह है कि इसमें चंद्रयान-2 के अनुपालन और उसकी अनुभवों का लाभ उठाया जा सकता है। इस संदर्भ में, इसरो ने पिछले मिशनों से सीखकर और नई तकनीकों का उपयोग करके चंद्रयान-3 को कम बजट में विकसित किया है।

    चंद्रयान-2 की तुलना में, चंद्रयान-3 में रोवर भी शामिल है, जो इसकी लागत को अधिक कर सकता है। हालांकि, इसरो का लक्ष्य हमेशा सरकारी अनुदान का सबसे अधिक उपयोग करके अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करना होता है। चंद्रयान-3 की कम लागत इसरो की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है और इसे देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

    चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे वैज्ञानिकों का योगदान

    पी वीरमुथुवेल, बी एन रामकृष्ण, एम शंकरन, एस मोहना कुमार, और वी नारायणन जैसे अनेक वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 मिशन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये वैज्ञानिक मिशन के विभिन्न पहलुओं और क्षेत्रों में अपने विशेषज्ञता और अनुभव का उपयोग करते हुए इसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

    1. पी वीरमुथुवेल: चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक के रूप में, वीरमुथुवेल ने मिशन के संचालन और नियंत्रण में अपना अहम योगदान दिया है।
    2. बी एन रामकृष्ण: उन्होंने मिशन के निदेशक के रूप में गहरे अंतरिक्ष प्रयासों के लिए मिशन के नियंत्रण का समन्वय किया है।
    3. एम शंकरन: एसएससी में चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान के निर्माण का नेतृत्व करते हुए, उन्होंने यूआरएससी में वैश्विक स्तर पर गहरे अंतरिक्ष नेटवर्क स्टेशनों के साथ सहयोग किया है।
    4. एस मोहना कुमार: उन्होंने एलएमवी3 रॉकेट पर चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण का निर्देशन किया।
    5. वी नारायणन: नारायणन की विशेषज्ञता और अनुभव ने प्रणोदन प्रणाली और क्रायोजेनिक इंजन डिजाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    इन वैज्ञानिकों का योगदान चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण रहा है, और उन्होंने अपने अद्वितीय ज्ञान और अनुभव के साथ इस मिशन को निरंतर प्रेरित किया है।

    चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज का महत्व

    चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज का महत्व विभिन्न कारणों से है। यहाँ कुछ मुख्य कारण दिए जा रहे हैं:

    1. वैज्ञानिक अध्ययन: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन वैज्ञानिकों को चंद्रमा के संरचना, रचना, तापमान, धरातल, और उसके भूरेखीय क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है। यह जानकारी हमें ब्रह्मांड के उत्तर-दक्षिणी भाग की गहरी समझ प्राप्त करने में मदद करती है।
    2. अंतरिक्ष मिशनों के लिए उपयुक्तता: दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में स्थित रोमांचक और अज्ञात भूमिकाएं अंतरिक्ष अनुसंधान मिशनों के लिए आकर्षक हो सकती हैं। यहाँ से अंतरिक्ष यानों के लिए रॉबोटिक उपयोगिताओं को लॉन्च करने के लिए अद्वितीय मौके हो सकते हैं।
    3. जलवायु और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन: दक्षिणी ध्रुव परिसर एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहाँ अद्वितीय जलवायु और जलवायु परिवर्तन की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जा सकता है। यह विज्ञानिकों को धार्मिक और ग्राह्य जलवायु तंत्रों के समझने में मदद कर सकता है।
    4. आंतरिक्ष यातायात के लिए विशेषता: दक्षिणी ध्रुव चंद्रमा के पोल के बहुत करीब होने के कारण, यहाँ से आंतरिक्ष यातायात के लिए उपयुक्तता के संभावित नए मॉडल और तकनीकी विकास किए जा सकते हैं।

    इन कारणों से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज और अध्ययन महत्वपूर्ण है।

    निष्कर्ष

    चंद्रयान-३ के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी निरंतर प्रगति के साथ साथ, वैज्ञानिक और तकनीकी अवसरों का भी सही समय पर उपयोग करने में सक्षम हो रहा है। चंद्रयान-३ की सफलता ने भारत को एक बार फिर से अंतरिक्ष और विज्ञान में एक नया मील का पत्थर रखा है।

    समापन के रूप में, चंद्रयान-३ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण पहलु है। यह मिशन भारत को एक विश्वस्तरीय अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। चंद्रयान-३ के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में नए मापदंड स्थापित कर रहा है और उसकी अंतर्राष्ट्रीय पहचान को मजबूत कर रहा है।

    FAQ’S

    Q-चंद्रयान-३ lander name

    A- चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम चंद्रयान-2 के लैंडर के समान ही “विक्रम” रखा गया है।

    Q- ISRO का पूर्ण रूप

    A- ISRO (Indian Space Research Organisation) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

    Q- GSLV Mk II का मतलब होता है

    A- GSLV Mk II का मतलब होता है “Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark II”. यह एक प्रकार का भारतीय रॉकेट है जो की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है।

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